Bihar Floor Test : राजनीतिक रंगमंच पर बिहार की सरकार अब अपनी किस्मत के निर्णय का समय नजदीक आ रहा है। अब कुछ ही घंटों में यह स्पष्ट हो जाएगा कि नीतीश कुमार की नेतृत्व में क्या सरकार कायम रहेगी या नहीं। आज दो बार सरकार को शक्ति परीक्षण का सामना करना पड़ेगा। यदि पहले बार वे सफल होते हैं, तो सब ठीक है, लेकिन अगर नहीं, तो मुसीबत की घड़ी आ सकती है।
Bihar Floor Test : बिहार विधानसभा में सरकार और विपक्ष के बीच शक्ति की परीक्षा दो बार होगी। पहली परीक्षा में अगर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार जीत जाती है, तो उसके लिए असल बहुमत परीक्षण आसान होगा। यहाँ अवध बिहारी चौधरी, विधानसभा के अध्यक्ष, की भूमिका महत्वपूर्ण है, क्योंकि मुख्य विपक्षी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल का सारा खेल उनके हाथों में है। उनके समर्थन पर निर्भरता के कारण, तेजस्वी यादव के लिए सत्ता की आशा में मुसीबत है। पहला शक्ति परीक्षण उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को हटाने के लिए उन्हें निकटतम स्थान पर लाना होगा। इस प्रकार, सत्ता के संगठन की वास्तविकता और विपक्षी विचलन की सीमा स्पष्ट होगी। यदि पहला खेल सरकार के पक्ष में समाप्त होता है, तो दूसरी शक्ति परीक्षण की आवश्यकता संभावित नहीं होगी।
Bihar Floor Test: सारा खेल अवध बिहारी पर, जानें क्यों
Bihar Floor Test : 28 जनवरी को बिहार में सरकार के परिवर्तन के साथ ही, प्रथम मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार ने उनके विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस भेजा। इसके बाद सात फरवरी को, अवध बिहारी चौधरी ने बताया कि वे अविश्वास प्रस्ताव के खिलाफ जानकारी प्राप्त हैं, लेकिन वे अपने पद पर निरंतर रहेंगे। उन्होंने अपने पद के लिए समर्थन दिखाया और विधानसभा के संपूर्ण कार्यक्रम को जारी रखा। अवध बिहारी चौधरी विधानसभा की नियमों से संबंधित समिति के भी अध्यक्ष हैं। इसलिए, यह देखने योग्य है कि क्या 28 जनवरी को जमा किया गया अविश्वास प्रस्ताव विधानसभा के सचिव के कार्यालय में प्रभावी है या नहीं। अविश्वास प्रस्ताव के 14 दिनों के दौरान, अध्यक्ष प्रभावी रहते हैं, इसलिए नए मंत्रिमंडल ने 12 फरवरी से सत्र की शुरुआत का समय निर्धारित किया था।
Bihar Floor Test : अब नियम-कानून की जानकारी भी समझलें
Bihar Floor Test : सोमवार को विधानसभा सत्र की शुरुआत होने जा रही है, और इससे पहले अनुच्छेद 179 का बहुत चर्चा होगा। यह अनुच्छेद विधानसभा के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के पदों की खाली होने या हटाए जाने से संबंधित है। सरकार ने इसी नियम के तहत 14 दिन पहले अवध बिहारी चौधरी के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव को वोटिंग के लिए प्रस्तुत किया है। अगर इस प्रस्ताव को पारित कर दिया जाता है, तो वह अपना पद छोड़ देंगे। यदि विपक्ष को उन्हें हटाने में बहुमत मिलता है, तो डिप्टी स्पीकर को भी अपना इस्तीफा देना होगा। इस तरह, सरकार के बहुमत का भी परीक्षण होगा। यदि विधानसभा अध्यक्ष को हटाने के लिए अविश्वास प्रस्ताव पारित होता है, तो डिप्टी स्पीकर उनकी कुर्सी पर कार्रवाई करेंगे। यदि यह प्रक्रिया के दौरान अवध बिहारी चौधरी कुर्सी पर कायम रहते हैं, तो भी वे उसे छोड़ने के लिए वोट करने के लिए बाध्य होंगे। अगर सरकार उन्हें हटाने के लिए बहुमत प्राप्त नहीं कर पाती है, तो यह स्पष्ट हो जाएगा कि सरकार का स्थायित्व ध्वस्त है।